देश में जातिवार जनगणना कराई जाएगी
मोदी सरकार ने देश में जातिवार जनगणना कराने का ऐलान किया है। यह निर्णय आज हुई सीसीपीए की बैठक में लिया गया और इस संबंध में जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। इस बीच, लंबे समय से विभिन्न संगठन और विपक्षी दल जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं

विपक्ष की मांग अंततः सफल हुई
केंद्र की मोदी सरकार चार साल से देश में जनगणना कराने से बच रही है। विपक्ष जाति-वार जनगणना की मांग कर रहा था। आखिरकार विपक्ष की मांग पूरी हो गई है और केंद्र सरकार ने जातिवार जनगणना को मंजूरी दे दी है। आजादी के बाद यह पहली जाति-वार जनगणना होगी। देश में हर 10 साल में जनगणना की जाती है। आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। हालांकि, कोरोना के कारण इसे 2021 में स्थगित कर दिया गया था।
इसके बाद से ही कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से देश में जातिवार जनगणना की मांग की जा रही है। हर दस साल में होने वाली जनगणना कोरोना संक्रमण के कारण 2021 में नहीं हो सकी। इस बीच, देश के विभिन्न हिस्सों में आरक्षण को लेकर विभिन्न जाति समूहों द्वारा चलाए गए तीव्र आंदोलन के कारण जाति-वार जनगणना की मांग भी सामने आई। इसके अलावा, कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जाति-वार जनगणना के लिए आक्रामक रुख अपनाया था। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसी जनगणना के बाद ओबीसी और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को न्याय मिलेगा।
उन्होंने सरकार को किसी भी हालत में देश में जाति आधारित जनगणना कराने की चुनौती दी। आज हुई मंत्रिमंडल की कुछ वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक में जनगणना के साथ-साथ जातिवार जनगणना कराने का निर्णय लिया गया। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया से बातचीत करते हुए दी। उन्होंने कहा कि आगामी जनगणना में जाति की गणना की जाएगी। इस बीच, जनगणना के साथ-साथ जातिवार जनगणना कराने के फैसले को सरकार द्वारा उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है। उनका तर्क यह है कि आजादी के बाद की जनगणना में जाति को कभी शामिल नहीं किया गया। आजादी से पहले 1931 में जातिवार जनगणना कराये जाने का रिकार्ड मौजूद है। यह पहली बार होगा जब इस तरह की जनगणना आयोजित की जाएगी।
1931 में जातिवार जनगणना कराई गई थी
1931 की जनगणना, जिसमें जातियों की गणना की गई थी, औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार द्वारा कराई गई थी। और यह 1901 की जनगणना के बाद पहली ऐसी जनगणना थी। देश की तत्कालीन कुल जनसंख्या 27 करोड़ में से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की हिस्सेदारी 52% थी।
जातिवार जनगणना का महत्व
- ओबीसी की सही संख्या जानने के लिए।
- जनसंख्या में विभिन्न जातियों का सटीक अनुपात जानना।
- सटीक सामाजिक और आर्थिक नीतियां तैयार करना।
- आरक्षण की आवश्यकताओं और वितरण का पुनर्मूल्यांकन करें।
- वंचितों के विकास के लिए प्रभावी उपकरण।
- आरक्षण, शैक्षिक सुविधाओं और नौकरियों का उचित वितरण सुनिश्चित करना।
सामाजिक समानता बनाने की काफी गुंजाइश होगी।
जातिवार जनगणना के लाभ
- जातिवार जनगणना से देश की हर जाति के आंकड़े सामने आ जाएंगे।
- इससे समाज में बढ़ती सामाजिक असमानता को कम करने में मदद मिलेगी।
- भारत में विभिन्न जातियों की वास्तविक तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी।
- जाति-वार जनगणना, मराठा समुदाय सहित विभिन्न समुदायों की आरक्षण की मांगों को पूरा करने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
- यदि शीघ्र ही जातिवार जनगणना करा ली जाए तो निश्चित रूप से विकास का इतिहास और भविष्य की रूपरेखा तय करने में काफी मदद मिलेगी।
जाति-वार जनगणना के नुकसान
- यदि जाति-वार जनगणना कराई जाती है, तो इसका उपयोग सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों द्वारा विभिन्न चुनावों में राजनीतिक वोट के लिए किए जाने की संभावना है।
- ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि जाति-आधारित जनगणना का राष्ट्रीय एकीकरण पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय छोटी जातियों की जटिल संरचना के कारण, जाति-वार जनगणना पर भारी व्यय होने की संभावना है। - जाति एवं विभिन्न उपजातियों के कारण सटीक आंकड़े संकलित करना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
- जातिवार संख्यात्मक ताकत सामने आने के बाद अंतरजातीय संघर्ष की संभावना है।
जातिवार जनगणना क्या है?
जातिवार जनगणना एक जनगणना प्रक्रिया है जो देश के प्रत्येक नागरिक की जाति (जैसे मराठा, धनगर, आदि) को आधिकारिक रूप से दर्ज करती है। किसी नागरिक के बारे में जानकारी एकत्र करते समय न केवल उसकी आयु, लिंग, धर्म और शिक्षा, बल्कि उसकी जाति, उपजाति और सामाजिक श्रेणी (एससी, एसटी, ओबीसी, सामान्य) का भी उल्लेख किया जाता है।
कांग्रेस ने निर्णय का स्वागत किया
राहुल गांधी ने केंद्र से रखीं चार मांगें...केंद्र की मोदी सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में जातिवार जनगणना कराने का फैसला किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार के फैसले का स्वागत किया और घोषणा की कि वह सरकार का समर्थन करेंगे। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सरकार से चार मांगें भी रखी हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज अचानक जातिवार जनगणना की घोषणा क्यों कर दी। लेकिन हम इस तथ्य का स्वागत करते हैं कि उन्होंने यह निर्णय लिया। अब हमें इसके लिए एक समय-सीमा की आवश्यकता है।
तेलंगाना जाति-आधारित जनगणना के लिए एक आदर्श राज्य बन गया है। राहुल गांधी ने उस समय कहा था, "हम इसके लिए योजना तैयार करने में सरकार का समर्थन करते हैं।" राहुल गांधी ने आगे कहा, "मैं दोहराना चाहूंगा कि जातिवार जनगणना पहला कदम है।" हमारा लक्ष्य जाति जनगणना के माध्यम से विकास की एक नई मिसाल कायम करना है। सिर्फ आरक्षण ही नहीं, हम यह भी जानना चाहते हैं कि इस देश में ओबीसी, दलित और आदिवासियों की भागीदारी क्या है? इस जाति का पता जनगणना से चलेगा। लेकिन हमें जाति जनगणना से आगे जाना होगा।
ये हैं मांगें
- राहुल गांधी ने कहा कि सरकार साफ तौर पर बताए कि जाति जनगणना कब और कैसे कराई जाएगी।
- सरकार को तेलंगाना जैसा जाति सर्वेक्षण मॉडल अपनाना चाहिए, जो तेज, पारदर्शी और समावेशी हो।
- जातिगत आंकड़ों के आधार पर 50% आरक्षण की सीमा को हटाया जाना चाहिए।
- सरकारी संस्थानों की तरह निजी संस्थानों में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
सौजन्य - (विदर्भ मतदाता गुरुवार 1 मई 2025 से सौजन्य)
जनहित में जारी
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संकलन ✍️ यादिकर पंजाबराव चव्हाण पुसाद - 9421774372